नोएडा में पुलिस द्वारा अवैध वसूली बदस्तूर जारी

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दीक्षा बंगा
नोएडा। देश की राजधानी दिल्ली से सटे, नोएडा में कानून का डण्डा एव भय दिखाकर, आम जनता एव छोटे मोटे रेडी पटरी लगाने वाले कारोबारियों से, पुलिस द्वारा अवैध वसूली आज भी, बदस्तूर जारी है। माना कि, भय अनुशासित समाज का आधार होता है किन्तु, सभ्य सामाजिक व्यक्ति के इसी भय को पुलिस ने अपना हथियार बनाकर, आम जनता को खूब ठगा है, जो कि, नोएडा में कमिशनरी लागू होने के बाद घटने की वजाय, पुलिस की अवैध उगाही में जबदस्त इजाफ़ा ही देखने को मिला है। वैश्विक महामारी कोरोना काल मे उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि, पूरे भारत की पुलिस ने देवदूत बनकर, प्रदेश व देश की जनता के हितों के लिए जो भी त्याग किया, बलिदान दिया था, लॉकडाउन खुलने के बाद सूद समेत वसूलने का भी काम किया है, इस बीच पुलिस द्वारा जनता से मनमानी करने की तस्वीरें भी देखी गईं है। सूत्रों की माने तो, नोएडा कमिशनरी लागू होने के बाद भी, नोएडा के थानों एव चौकियों में पूर्वर्ती सरकार में, गैर संवैधानिक पद ठेकेदारी प्रथा का शुभारम्भ हुआ था, जो कि, आज भी हर थाने एव चौकी में ठेकेदार देखने को मिलता है। थाने व चौकी का ठेकेदार पुलिस विभाग का सबसे छोटा कर्मी तेज तर्रार सिपाही होता है, जो समूचे थाना एव चौकी क्षेत्र में, बिना वर्दी के मुक्त रूप से भ्रमण करता है, क्षेत्र में चल रहे सभी अवैध धन्धे जैसे, चरस, गाँजा, एव अवैध शराब बिक्री जैसे समुचित धंधों का नाजायज संरक्षक एव स्वामी होता है, वास्तव में पुलिस विभाग में ठेकेदार होता है? क्या है ठेकेदार की परिभाषा? थाना एव चौकी क्षेत्र में एक ऐसा पुलिस का जवान, जो वर्दी पहनने की भूल कभी कभी करता हो, सदैव सादे कपड़ों में, भाजी सब्जी, चाय व चाट पकौड़ा बिक्रय कर, अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले सीधे सादे नागरिकों से कानून का डण्डा दिखाकर, लाखों की वसूली करने का हुनर रखता हो, ऐसे तेज तर्रार सिपाही को ही ठेकेदार की संज्ञा दी गयी है। सचमुच, सूत्रों की माने तो, असल मे नम्बर दो, अर्थात अपराध की दुनियाँ से सम्बंध रखने वाले पुलिस विभाग के ऐसे ही ठेकेदारों द्वारा पोषित होते है और, ऐसे अपराधी जो समाज मे गन्दगी फैलाते है, नोएडा पुलिस को इच्छित वरदान देने वाली कामधेनु के समान होते है जबकि दूसरी तरफ मेहनत और ईमानदारी से दाल रोटी की लड़ाई लड़ने वाले पुलिस के प्रकोप की बलि चढ़ जाते है कदाचित, बिना किसी अपराध के ही, उन गुनाहों के आरोप में जेल भेज दिए जाते हैं, जो कदाचित उन्होंने स्वप्न में भी न सोंचा हो। धन्य है उत्तर प्रदेश की नोएडा पुलिस, निश्चय ही जिसने कर्तव्यविमुखता एव बेईमानी का एक नया इतिहास रच डाला, काश, ऐसे पुलिस कर्मी को राष्ट्रपति पदक देने का कोई रिवाज़ होता तो, निश्चय ही नोएडा के थानों एव चौकियों में तैनात ठेकेदारों को ही मिलता।
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